बीजेपी रीतलाल वर्मा का न हो सका, तो मेरा कैसे होता : प्रणव वर्मा
Pranav verma JMM गिरिडीह (ईएमएस)। बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष रहे प्रणव वर्मा ने भाजपा को त्याग कर हाल ही में जेएमएम में शामिल हुए। सोमवार को प्रणव ने झामुमो जिला कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा है कि बीजेपी में झारखंडी नेताओं की कोई कद्र नहीं है। मेहनत इस माटी के कार्यकर्ता करते हैं और लाभ बाहर के नेता ले जाते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके पिता दिवंगत रीतलाल प्रसाद वर्मा, जिन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के सहयोगी के रूप में जनसंघ के समय से ही बीजेपी को इस इलाके में स्थापित किया था। वे पांच बार कोडरमा से सांसद रहे। जब पार्टी उनकी ना हो सकी तो भला मेरी कैसे होती। उन्होंने कहा कि बीजेपी कभी झारखंड की भलाई नहीं कर सकती। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी में जमीन से जुड़े ईमानदार झारखंडी नेताओं और कार्यकर्ताओं की कोई कद्र नहीं है। सारे फैसले दिल्ली में बैठे नेता करते हैं। गैर झारखंडी लोग जिन्हें राज्य की समझ नहीं है, पार्टी के फैसले को मैनेज करते हैं। जेएमएम में आना अपने मूल परिवार में वापसी: प्रणव वर्मा ने जेएमएम में आने को परिवार में वापसी बताते हुए कहा कि उन्हें यह फैसला पहले ही ले लेना चाहिए था। कहा कि गिरिडीह और कोडरमा से बीजेपी का सूपड़ा साफ करने के लिए जेएमएम का एक एक कार्यकर्ता काम करेगा। उन्होंने दावा किया कि फिर से जेएमएम के नेतृत्व में इंडिया गठबंधन की सरकार झारखंड में बनेगी।

रांची – गिरिडीह बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष रहे प्रणव वर्मा ने भाजपा को त्याग कर हाल ही में जेएमएम में शामिल हुए। सोमवार को प्रणव वर्मा ने झामुमो जिला कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा है कि बीजेपी में झारखंडी नेताओं की कोई कद्र नहीं है। मेहनत इस माटी के कार्यकर्ता करते हैं और लाभ बाहर के नेता ले जाते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके पिता दिवंगत रीतलाल प्रसाद वर्मा, जिन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के सहयोगी के रूप में जनसंघ के समय से ही बीजेपी को इस इलाके में स्थापित किया था। वे पांच बार कोडरमा से सांसद रहे। जब पार्टी उनकी ना हो सकी तो भला मेरी कैसे होती। उन्होंने कहा कि बीजेपी कभी झारखंड की भलाई नहीं कर सकती। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी में जमीन से जुड़े ईमानदार झारखंडी नेताओं और कार्यकर्ताओं की कोई कद्र नहीं है। सारे फैसले दिल्ली में बैठे नेता करते हैं। गैर झारखंडी लोग जिन्हें राज्य की समझ नहीं है, पार्टी के फैसले को मैनेज करते हैं।
प्रणव वर्मा ने जेएमएम में आने को परिवार में वापसी बताते हुए कहा कि उन्हें यह फैसला पहले ही ले लेना चाहिए था। कहा कि गिरिडीह और कोडरमा से बीजेपी का सूपड़ा साफ करने के लिए जेएमएम का एक एक कार्यकर्ता काम करेगा। उन्होंने दावा किया कि फिर से जेएमएम के नेतृत्व में इंडिया गठबंधन की सरकार झारखंड में बनेगी।